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Showing posts from December, 2017

शहर

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शहर "सदीयों पहले धुल से उभरा था शहर कोई।  न जाने किस धुल में वह फिर  सिमट गया।।"         कोई माने या ना माने किंतु हम ये मानते है, की हर शहर का एक आत्मा होता है, रुह होती है। जैसे ही एक मनुष्य प्राणी जन्म लेता है, उसका संवर्धन होता है, और कुछ समय के उपरांत वह नष्ट होता है। ठीक वैसे ही एक शहर का भी जन्म होता है, संवर्धन होकर फिर वह मृत भी होता है। लेकिन यह प्रक्रिया मनुष्य जन्मो कि तरह महज सदीयों की नही तो शताब्दीयो की होती है। एक शहर की स्थापना कैसे होती है? चलो थोडा उसके बारे में विचार करते है। . शहरो का जन्म :-      अगर संपूर्ण विश्व के प्राचीन सभ्यताओ (Civilization)का अभ्यास करे तो हमे यह सहज ज्ञान होता है कि सभी प्राचीन सभ्यता किसी ना किसी नदी के तट पर ही विकसित हुई है। जैसे के तैग्रीस और युफ्रेटीस के तट पर मेसोपोटोमियाँ सभ्यता , नाईल नदी के किनारे ईजिप्शियन या मिस्त्र की सभ्यता , पीत नदी के तट पर चीनी या सिंधू नदी के तट पर पली बढी हमारी भारतीय/सैंधव सभ्यता. प्राचीन कृषिप्रधान व्यवस्था में नदी का महत्व अनन्य साधारण...
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. चीनी कुत्ता. . ©लेखक- प्रा.अक्षय प्रकाश नेवे, पुणे(महाराष्ट्र) हर दिन की तरह उस दिन भी भारत - चीन के सीमापर सन्नाटा था। एक सामान्य भारतीय कुत्ता बस युंही घुमते घुमते सीमा पर जा पहूंचा। एक सामान्य भारतीय कुत्ता, भारत की हर गली-चौराहे पे आते जाते हर किसी पर भौकने वाला एक सामान्य भारतीय कुत्ता! मध्यम आकार की लंबाई, चौडाई , हलका ब्राऊन कलर और टेढी पुंछ ऐसे सामान्य लक्षण का कुत्ता! जैसे ही भारतीय कुत्ता चीनी सरहद पर जा पहूंचा उसने देखा की सीमा के उस तरफ चीनी क्षेत्र में एक चीनी मूल का चाऊ चाऊ कुत्ता टहल रहा था! हट्टा कट्टा, गोरा गोरा, छोटी छोटी आंखे, पूर्ण शरीर पर रेशमी लंबे लंबे बाल, जिसकी अच्छी तरह से परावरीश की गई थी, ऐसा चीनी कुत्ता! जैसे ही भारतीय कुत्ते ने चीनी कुत्ते देखा , उसका भारतीय खून खॊल उठा! चीन ने हर बार की हुई बेईमानी उसे याद आ गई , बांडूग का उल्लंघन, १९६२ का धोका- भारतीय सेना की शिकस्त, पाकिस्तान से दोस्ती, अक्सई चीन पे कब्जा, अरुणाचल पर नजर, ग्वादार बंदरगाह, ओबेर, अझहर मसूद, युनो की सुरक्षा परिषद, डोकलाम यह सब सोच कर प्रतिशोध की भावना ना आये वह भ...