शहर

शहर "सदीयों पहले धुल से उभरा था शहर कोई। न जाने किस धुल में वह फिर सिमट गया।।" कोई माने या ना माने किंतु हम ये मानते है, की हर शहर का एक आत्मा होता है, रुह होती है। जैसे ही एक मनुष्य प्राणी जन्म लेता है, उसका संवर्धन होता है, और कुछ समय के उपरांत वह नष्ट होता है। ठीक वैसे ही एक शहर का भी जन्म होता है, संवर्धन होकर फिर वह मृत भी होता है। लेकिन यह प्रक्रिया मनुष्य जन्मो कि तरह महज सदीयों की नही तो शताब्दीयो की होती है। एक शहर की स्थापना कैसे होती है? चलो थोडा उसके बारे में विचार करते है। . शहरो का जन्म :- अगर संपूर्ण विश्व के प्राचीन सभ्यताओ (Civilization)का अभ्यास करे तो हमे यह सहज ज्ञान होता है कि सभी प्राचीन सभ्यता किसी ना किसी नदी के तट पर ही विकसित हुई है। जैसे के तैग्रीस और युफ्रेटीस के तट पर मेसोपोटोमियाँ सभ्यता , नाईल नदी के किनारे ईजिप्शियन या मिस्त्र की सभ्यता , पीत नदी के तट पर चीनी या सिंधू नदी के तट पर पली बढी हमारी भारतीय/सैंधव सभ्यता. प्राचीन कृषिप्रधान व्यवस्था में नदी का महत्व अनन्य साधारण...