Posts

Showing posts from 2017

शहर

Image
शहर "सदीयों पहले धुल से उभरा था शहर कोई।  न जाने किस धुल में वह फिर  सिमट गया।।"         कोई माने या ना माने किंतु हम ये मानते है, की हर शहर का एक आत्मा होता है, रुह होती है। जैसे ही एक मनुष्य प्राणी जन्म लेता है, उसका संवर्धन होता है, और कुछ समय के उपरांत वह नष्ट होता है। ठीक वैसे ही एक शहर का भी जन्म होता है, संवर्धन होकर फिर वह मृत भी होता है। लेकिन यह प्रक्रिया मनुष्य जन्मो कि तरह महज सदीयों की नही तो शताब्दीयो की होती है। एक शहर की स्थापना कैसे होती है? चलो थोडा उसके बारे में विचार करते है। . शहरो का जन्म :-      अगर संपूर्ण विश्व के प्राचीन सभ्यताओ (Civilization)का अभ्यास करे तो हमे यह सहज ज्ञान होता है कि सभी प्राचीन सभ्यता किसी ना किसी नदी के तट पर ही विकसित हुई है। जैसे के तैग्रीस और युफ्रेटीस के तट पर मेसोपोटोमियाँ सभ्यता , नाईल नदी के किनारे ईजिप्शियन या मिस्त्र की सभ्यता , पीत नदी के तट पर चीनी या सिंधू नदी के तट पर पली बढी हमारी भारतीय/सैंधव सभ्यता. प्राचीन कृषिप्रधान व्यवस्था में नदी का महत्व अनन्य साधारण...
Image
. चीनी कुत्ता. . ©लेखक- प्रा.अक्षय प्रकाश नेवे, पुणे(महाराष्ट्र) हर दिन की तरह उस दिन भी भारत - चीन के सीमापर सन्नाटा था। एक सामान्य भारतीय कुत्ता बस युंही घुमते घुमते सीमा पर जा पहूंचा। एक सामान्य भारतीय कुत्ता, भारत की हर गली-चौराहे पे आते जाते हर किसी पर भौकने वाला एक सामान्य भारतीय कुत्ता! मध्यम आकार की लंबाई, चौडाई , हलका ब्राऊन कलर और टेढी पुंछ ऐसे सामान्य लक्षण का कुत्ता! जैसे ही भारतीय कुत्ता चीनी सरहद पर जा पहूंचा उसने देखा की सीमा के उस तरफ चीनी क्षेत्र में एक चीनी मूल का चाऊ चाऊ कुत्ता टहल रहा था! हट्टा कट्टा, गोरा गोरा, छोटी छोटी आंखे, पूर्ण शरीर पर रेशमी लंबे लंबे बाल, जिसकी अच्छी तरह से परावरीश की गई थी, ऐसा चीनी कुत्ता! जैसे ही भारतीय कुत्ते ने चीनी कुत्ते देखा , उसका भारतीय खून खॊल उठा! चीन ने हर बार की हुई बेईमानी उसे याद आ गई , बांडूग का उल्लंघन, १९६२ का धोका- भारतीय सेना की शिकस्त, पाकिस्तान से दोस्ती, अक्सई चीन पे कब्जा, अरुणाचल पर नजर, ग्वादार बंदरगाह, ओबेर, अझहर मसूद, युनो की सुरक्षा परिषद, डोकलाम यह सब सोच कर प्रतिशोध की भावना ना आये वह भ...

संतुष्टता

Image
#akshay_speaks मुझे अक्सर उन लोगो को देख कर बहुत आश्चर्य होता है, जो छोटासा यश प्राप्त करके संतुष्ट हो जाते है। "भगवान ने जितना दिया है, उतने में ही समाधान मानना चाहिये!" ऐसी कुछ तत्वज्ञान को शिरोधार्य मानकर वे स्वयं ही अपनी क्रयशक्ती पर अन्याय किये जाते है। कुछ समय पहिले हम एक महाशय से मिला थे, वे राज्य शासन की किसी सेवा में कार्यरत थे। एक हुनहार तथा कल्पक कर्मचारी ऐसी उनकी ख्याती थी, किंतु जब भी हमने उनसे उच्च श्रेणी में जाने के लिये आवश्यक परीक्षाओ के विषय में बाते की, वे  उपहासपूर्वक हंसकर उस विषय को बदल देते थे। उनका मासिक वेतन सिर्फ २०,०००/- तक था किंतु वे ऐसे बर्तव करते थे की अलेक्सझंदर के बाद वे ही एकमात्र जगजेत्ता है। दरसल उनकी क्षमता काफी उच्च है पर क्या करे, वे अपनी वर्तमान परिस्थिती से ही खुश है। और एक किस्सा , यही अल्पसंतुष्टी का! हमारे मित्रो में एक व्यक्ती जिसने महत प्रयासो के उपरांत ITI पास करके कही एक छोटासा व्यवसाय शुरु किया, हम मित्रोने उसे बहुत सलाह दी की भाई ITI हो गया अब Diploma कर लो, तुम्हारे व्यवसाय की वृद्धी के लिये वह काफी हद तक फायदेमंद हो सकती...

Securing india's borders

Book Review Securing India's borders: challenges and policy options Title of Book   Securing India's borders : challenges and policy options Author   Gautam Das Publication     Pentagon Press, New Delhi Subject   Border security of India Language   English ISBN   ·         978-81-8274-532-2   Price   INR 495/- Pages   134             v  About Author- Gautam Das, he was an ex- army personal who serve in the Indian Army from 1968 to 1991. He was an infantry officer of the 11th Gorkha Rifles, he has served on all of India’s major borders in regimental service with his own battalion, as well as with the Assam Rifles and the Special Frontier Force. He has also dealt with both border defence and border management on the General Staff of an infantry division, an Army Corps, and a regional Command HQ in widely-separated parts of the...

1857

Image