मोहनजोदारो

*मोहनजोदरो*
हालही मे बॉलिवूड सुपरस्टार हृतिक रोशन की नई फिल्म मोहंजोदारो काफी चर्चा में है। इसी अवसर पर दर्शकोमें भी काफी उत्सुकता है। तो चले देखते है वास्तव में क्या है मोहंजोदारो...

भले ही इस ऐतिहासिक फिल्ममे इस शहर का नाम मोहंजोदारो बताया गया किंतु वास्तवमें यह नाम आधुनिक काल का है। मोहंजोदारो इस शब्द का सिंधी मतलब है *"मृत इन्सानो की पहाडी"* तथा इसका दुसरा अर्थ *" मोहन (कृष्ण) की पहाडी"* ऐसा भी होता है।
फिलहाल पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना शहर में यह पुरातत्वीय साईट स्थित है, जिसका निर्माण ईसा पूर्व 25वी शताब्दी मे किया गया।
विश्व के सबसे प्राचीन सभ्यता मे से एक माने जाने वाली इस सभ्यताको सिंधू नदी के नजदीक स्थित होणे कि वजह से *"सिंधू सभ्यता - Indus Civilization"* कहा जाता है।
*हडप्पा सभ्यता* के नाम से भी परिचित इस सभ्यता का मोहंजोदारो एक महत्वपूर्ण शहर था, जो की ईसा पूर्व 1900 के शतक मे इतिहास के पन्नो में ना जाने कहा गुम हो गया। इस गुमशूदा सभ्यता का पुनर्शोध 1919- 20 मे *राखलदास बॅनर्जी* द्वारा हुआ। तत्पश्चात 1924 मे *काशिनाथ नारायण दीक्षित* और *सर जॉन मार्शल* ने यहां पर खुदाई कर के मोहंजोदारो के इतिहास को जग के सामने प्रस्तुत किया।
मोहंजोदारो मे कई ऐसे अवशेष मिले की जो इतिहास अभ्यासको के लिये एक आश्चर्य थे, और खुद को महान सभ्यता समझनेवाले अंग्रेजों के लिये एक सनसनीखेज खबर!
मोहंजोदारो एक पक्की इटोसे बना हुआ एक शहर था। तथा तत्कालीन नागरीकरण (Urbanisation) का एक उत्कृष्ट उदाहरण था। मोहंजोदारो की प्रमुख विशेषता है वहा पे प्राप्त *"स्नानगृह (The Great Bath"*  के अवशेष!

यह स्नानगृह लगबग 12 मीटर लंबा, 7 मीटर चौडा और 2:5 मीटर गहरा है, इस स्नानगृह के बाजूमेही कई कमरो के अवशेष देखकर ऐसा लगता है कि शायद इसका उपयोग किसी धार्मिक कार्य के लिये किया जाता था।
मोहंजोदारो मे तटबंदी के अवशेष तो नही मिले अपीतू पश्चिमी दिशा मे कुछ बुरुजो के निशान मिलते है ।
इसके अलावा मोहंजोदारो में कई अवशेष प्राप्त हुवे जैसे कि *नर्तक स्त्री की मूर्ती।* साढ़े दस सें.मी. उंचाई वाली यह मूर्ती लगबग 4500 साल पुरानी होने का अनुमान है। 1926 मे हुई खुदाई के दरम्यान यह मूर्ती मोहंजोदारो मी पाई गई।

साथही में तत्कालीन पुरुषोके बारे में अधिक जानकारी देने वाला *धर्मगुरू अथवा शासक का शिल्प* भी मोहंजोदारो से प्राप्त हुआ। ये शिल्प साढ़े सतरा सें.मी. उंचा है।

तत्कालीन स्त्री एवं पुरुषो के रहनसहन के विषय में अधिक जानकारी इन शिल्पो से हमे प्राप्त होती है।
भारतीय धर्मो के प्राचीनता का प्रमाण कहे जाने वाले *पशुपति की मुद्रा* भी मोहंजोदारो से प्राप्त हुई, यह मुद्रा पशुपति या शिव की कहलाई जाती है। इस मुद्रा में पशुपति योग अवस्था मे दिखाई देते है।

नागरीकरण के चरमसीमा पर होते समय नैसर्गिक आपदा के कारण यह सभ्यता ईसा पूर्व 1900 में नष्ट हो गई।
- अक्षय प्रकाश नेवे,
सहाय्यक प्राध्यापक,
इतिहास विभाग,
सर परशुरामभाऊ महाविद्यालय, पुणे.

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