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चीनी कुत्ता.
.©लेखक- प्रा.अक्षय प्रकाश नेवे, पुणे(महाराष्ट्र)
हर दिन की तरह उस दिन भी भारत - चीन के सीमापर सन्नाटा था। एक सामान्य भारतीय कुत्ता बस युंही घुमते घुमते सीमा पर जा पहूंचा। एक सामान्य भारतीय कुत्ता, भारत की हर गली-चौराहे पे आते जाते हर किसी पर भौकने वाला एक सामान्य भारतीय कुत्ता! मध्यम आकार की लंबाई, चौडाई , हलका ब्राऊन कलर और टेढी पुंछ ऐसे सामान्य लक्षण का कुत्ता!
जैसे ही भारतीय कुत्ता चीनी सरहद पर जा पहूंचा उसने देखा की सीमा के उस तरफ चीनी क्षेत्र में एक चीनी मूल का चाऊ चाऊ कुत्ता टहल रहा था! हट्टा कट्टा, गोरा गोरा, छोटी छोटी आंखे, पूर्ण शरीर पर रेशमी लंबे लंबे बाल, जिसकी अच्छी तरह से परावरीश की गई थी, ऐसा चीनी कुत्ता!
जैसे ही भारतीय कुत्ते ने चीनी कुत्ते देखा , उसका भारतीय खून खॊल उठा! चीन ने हर बार की हुई बेईमानी उसे याद आ गई , बांडूग का उल्लंघन, १९६२ का धोका- भारतीय सेना की शिकस्त, पाकिस्तान से दोस्ती, अक्सई चीन पे कब्जा, अरुणाचल पर नजर, ग्वादार बंदरगाह, ओबेर, अझहर मसूद, युनो की सुरक्षा परिषद, डोकलाम यह सब सोच कर प्रतिशोध की भावना ना आये वह भारतीय ही कैसा? भारतीय कुत्तेने भी ठीक ऐसे ही सोच कर आक्रमक रवैय्या अपनाया और पुरे जोश के साथ चीनी कुत्ते पर भोकना शुरु किया।
"तुम चीनी ऐसे हो.. तुम वैसे हो... तुम गद्दार हो.. दोस्ती के नाम पर धब्बा हो, xxxx, vgfyfyyy@#$$@@,$$%%#.............."
न जाने कौन कौन से शब्दो का प्रयोग कर के भारतीय कुत्ते ने अपनी पुरी भडास उस चीनी कुत्ते पर निकाली। किंतु चीनी कुत्ते ने इसका कोई जवाब ही नही दिया! चीनी कुत्ते की इस शांती को देख हैरान भारतीय कुत्ता सोच में पड गया की यह जवाब क्यो नही दे रहा है? कुछ समय बाद हैरान और शांत हुआ भारतीय कुत्ता उस चीनी कुत्ते के पास गया और पुछनें लगा, भाई कोई समस्या है क्या? मैं आपसे झगडा कर रहा था, गाली गलोच कर रहा था किंतु आपने कोई रिप्लाय ही नही दिया....
...भारतीय कुत्ते की हमदर्दी देख कर भावुक हुआ चीनी कुत्ता फूट फूट कर रोने लगा!
भारतीय कुत्ता और परेशान... भाई यह चल क्या रहा है?
चीनी कुत्ते को उसने पुछा
"भाई कुछ दर्द हो रहा है क्या?"
चीनी कुत्ता- "नही"
"भूक लगी है?"
"नही"
"चोट लगी है क्या?"
"नही"
"तो भाई 'तेरी प्रॉब्लेम क्या है? रो क्यू रहे हो?"
थोडा सवारते हुए चीनी कुत्ता बोला...
"भाई प्रॉब्लेम कुछ नही है, हमे आप भारतीय कुत्तो से अच्छा खाना मिलता है, पिने को स्वच्छ पानी मिलता है, रहने को अच्छा घर मिला है, अस्पताल, डॉक्टर, अच्छे ट्रेनींग, सब कुछ देते है........ बस भोकंने नही देते है।
(भारत और चीन में यही अंतर है, भले ही हमको सुविधाए कम है, भले ही हमारा स्टॅण्डर्ड ऑफ लिविंग चीनियो से कम है, भले ही हमारा GDP, HDI चीन से कम है! फिर भी हम सुखी है! क्यो की हम आझाद है, हम जो चाहे वो हम कर सकते है, कही भी घुम सकते है, किसी को कुछ भी कहाने का स्वातंत्र्य हमे प्राप्त है, हम किसी को भी पप्पू , फेकू, मौत से सौदागर, शहजादा ऐसे कुछ भी कह सकते है , यहां तक की हम अपने देश को असहिष्णू भी कह सकते है.....!
जय हिंद.... जय भारत.... जय लोकतंत्र...)
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©लेखक- प्रा.अक्षय प्रकाश नेवे, पुणे(महाराष्ट्र)
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अगदीच, आम्ही कुठे कमी जारी असलो तरी आम्ही खुश आहोत, तुम्ही प्रगती करत आहात; पण खर्च तुम्ही खुश आहत का? है प्रश्न नेहमी पडतो, मुठभर लोक देश चलवतात,पण बाकी 136 करोड़ लोकांचा खरच तुम्ही प्रतिनिधित्व करता आहत का? मनाला वाटेल तस वागत आहत; सायूथ चीन सी असो un मधील आडकाठी 21 व्या शतकात नेतृत्व करकयची स्वप्ने बघत असाल तर थोड़े तरी धोरनात बदल घडवून अनावच लागेल, स्वत: देश्यातील लोकांची जे राजकारणी विचार करत नसेल ते जगाचा के विचार करतील? मग आम्ही तरी के अपेक्षा ठेवनार, कुत्र्याची शेपुट वाकडी टी वाकडीच
ReplyDelete............... मागे राहतो तो एकच प्रश्न हाच की खरच तुम्ही आनंदी आहत का?