शहर
शहर
"सदीयों पहले धुल से उभरा था शहर कोई।
कोई माने या ना माने किंतु हम ये मानते है, की हर शहर का एक आत्मा होता है, रुह होती है। जैसे ही एक मनुष्य प्राणी जन्म लेता है, उसका संवर्धन होता है, और कुछ समय के उपरांत वह नष्ट होता है। ठीक वैसे ही एक शहर का भी जन्म होता है, संवर्धन होकर फिर वह मृत भी होता है। लेकिन यह प्रक्रिया मनुष्य जन्मो कि तरह महज सदीयों की नही तो शताब्दीयो की होती है। एक शहर की स्थापना कैसे होती है? चलो थोडा उसके बारे में विचार करते है।
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शहरो का जन्म :-
अगर संपूर्ण विश्व के प्राचीन सभ्यताओ (Civilization)का अभ्यास करे तो हमे यह सहज ज्ञान होता है कि सभी प्राचीन सभ्यता किसी ना किसी नदी के तट पर ही विकसित हुई है। जैसे के तैग्रीस और युफ्रेटीस के तट पर मेसोपोटोमियाँ सभ्यता , नाईल नदी के किनारे ईजिप्शियन या मिस्त्र की सभ्यता , पीत नदी के तट पर चीनी या सिंधू नदी के तट पर पली बढी हमारी भारतीय/सैंधव सभ्यता. प्राचीन कृषिप्रधान व्यवस्था में नदी का महत्व अनन्य साधारण था। इस लिये ही विश्व के हर कोने में बस्तीयो (colonies/ settlements) का निर्माण नदी के पास ही हुआ। जैसे जैसे जनसंख्या बढती गई बस्तीयो का विस्तार होते गया। और बस्तीयो का रूपांतर गावो में तथा छोटे कसबो में होता गया।
उस समय इतने बडे जनसमूह को नियंत्रित करने के लिये एक अनुशासन लागू करनेवाली व्यवस्था की जरुरत महसुस होने लगी , एक ऐसा अनुशासित समूह जो नियंत्रण के साथ साथ उस विशिष्ट जनसमूहका संरक्षण भी करे। वही जनसमूह कालानंतर के बाद राज्यकर्ता (Ruler) वर्ग बनकर सामने आया! इसी राज्यकर्ता वर्ग ने गावो का विस्तार था उद्धार किया!
आसपास के गावो के सम्मेलीत कर के एक सर्वसुविधो से पूर्ण प्रशासकीय इकाई (Administrative Unit) का निर्माण इस राज्यकर्ता वर्ग ने किया जिसे हम शहर या नगर कहते है। इन शहरो के नाम से हि उस राज्य को पहचना जाता था जैसे स्पार्टान्स, ट्रोजन्स, मगध, अवंती इ.
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शहरो के प्रकार-
शहरो के भी अनेक प्रकार होते है। जैसे कुछ शहर ,जो देवस्थान की कारण समृद्ध हुए है जैसे के व्हॅटिकन सिटी, मक्का - मदिना, काशी-वाराणसी, गया। कुछ शहर जो प्रशासकीय इकाई के रूप में विकसित हुए है जैसे के वॉशिंग्टन डीसी, नई दिल्ली, चंदीगड। कुछ शहर जो आर्थिक केंद्र बनकर उभरे जैसे की न्यूयॉर्क,मुंबई, हॉंगकॉंग। तो कुछ शहर पट्टण होने कि वजह से भी विकसित हुए जैसे कि कालिकात, कोलकाता, चेन्नई, सुवेज.
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जन्म के बाद जिस प्रकार कोई जीवित प्राणी का संवर्धन होता है वैसे हि कोई शहर भी संवर्धित होता है , और समय के उपरांत वह शहर नष्ट भी होता एक प्रकार का मृत्यू ! जैसे विजयनगर , जो अब हंपी भी कहलाता है, इस शहर की तो मानो हत्या कर दी हो।
३-४ शताब्दी तक विकसित हुए इस शहर की तालिकोटा के युद्ध के उपरांत हत्या ही करदी गयी थी।
३-४ शताब्दी तक विकसित हुए इस शहर की तालिकोटा के युद्ध के उपरांत हत्या ही करदी गयी थी।
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अगर आप किसी अनजान शहर में जाते हो और आप का मन वहा पे लगता है , तो समज लो आप अपने आत्मा शहर की आत्मासे जोडने में कामयाब रहे किंतु अगर आप वहा सुकून नही पाते हो तो समज लेना उस शहर के आत्मा ने ही आपको नकारा है!
©लेखक- प्रा. अक्षय प्रकाश नेवे, पुणे
©लेखक- प्रा. अक्षय प्रकाश नेवे, पुणे
Good write up ☺️
ReplyDeleteThanks a lot
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