शिवाग्रज , शिवबंधु : संभाजीराजे.
..शिवाग्रज ,शिवबंधु : संभाजीराजे ..
.
हिंदवी स्वराज्य संस्थापक छत्रपती शिवाजी महाराज को तो भारतवर्ष का हर कोई जानता हैl मुगलो जैसे बलशाली सत्ता के विरुद्ध स्वकियो का राज्य स्थापित करने वाले शिवाजी महाराज को राष्ट्रपुरुष कहा जाता हैl
शिवाजी महाराज की स्वराज्य निर्मिती के प्रेरणास्त्रोत थे उनकी माता जिजाउ, पिता शहाजीराजे और ज्येष्ठ बंधु संभाजीराजे...
अधिकतम लोगोको ये पता भी नही है के शिवाजी महाराज ेको संभाजीराजे नाम के कोई भाई भी थे.
वेरुळ (एलोरा) के भोसले कुलोत्पन्न शहाजी राजे का विवाह सिंदखेड राजा के निंबाळकर कुलोत्पन्न जिजाउ से हुवा. इस दंपती को दो पुत्ररत्न प्राप्त हुवे..
1) संभाजी.
2) शिवाजी.
ज्येष्ठ पुत्र संभाजी का ससुराल शिवनेरी था. जहा पर 1627 मे शिवाजी महाराज का जन्म हुवा. उस समय महाराष्ट्र मे मुगलोका काफी खौफ था. अहमदनगर की निजामशाही राज्यको मुगलोने परास्त किया और महाराष्ट्र मे लुट और आंतक का महौल कायम किया. ऐसे संकटकाल मे शहाजीराजे ने गर्भवती पत्नी जिजाउ को अपने समधीजी तथा संभाजी राजे के ससुर के यहा शिवनेरी मे रखा.
संभाजीराजे बचपनमे ही अपने पिता की जहागिर बंगलोरमे स्थाईक हो गये. जिस समय जिजाउ और शिवाजी राजे पुणे के क्षेत्र मे हिंदवी स्वराज्यनिर्मिती का कार्य कर रहे थे उस समय संभाजीराजे बंगलोर की अपनी जहांगिर को स्वाय्यत्त राज्य बनाने मे जुटे हुवे थे. वैसे स्वकियो का राज्य स्थापन करने का प्रयास शहाजी राजे ने पहले भी किया था किंतु वे असफल रहे. किंतु अपने दोनो पुत्रो मे स्वराज्य निर्मिती के बीज उन्होने बोए थे. शायद कर्नाटकासे ज्येष्ठ पुत्र संभाजीराजे और महाराष्ट्रसे कनिष्ठपुत्र शिवाजीराजे अपनी अपनी जहागिरीओ का विस्तार करके एक दुसरे मे विलिन होकर स्वकियो का एक साम्राज्य खडा करना चाहते थे.
इस बृहत रणनिती की खबर विजापुर के आदिलशहा को मिलने के बाद उसने शहाजीराजे और उनके दोनो पुत्रोके विरुद्ध सबसे शक्तीशाली सरदार अफजलखान को नियुक्त किया.
अफजल खान ने शहाजीराजे को धोकेसे बंदी बनाकर काफी अपमानित रुप से विजापुर दरबार मे पेश किया और उनकी बंगलोर तथा पुणे की जहागिर जप्त करने के लिये बहोत बडी सेना को भेजने का निर्णय लिया.
इस सुलतानी संकट को बंगलोर मे संभाजीराजे और पुणे मे शिवाजीराजे ने सिर्फ सहा नही बल्की अच्छा खासा नुकसान करके परास्त किया.
जिस अफजल खान की सेना को औरंगजेब हरा नही सका उस सेना को इन दोनो भाईयो ने शिकस्त दी.
शिवाजीराजे और जिजाउ के कुटनितीके उपरांत आदिलशहा ने शहाजीराजे को मुक्त किया. और अफजल खान के साथ कनकगिरी की सेना अभियान मे सम्मेलित होने का आदेश दिया. कनकगिरी अभियान मे ज्येष्ठ शहाजीपुत्र संभाजी राजे को भी शामिल होने का आदेश मिल था.
कनकगिरी के इस अभियान मे संभाजीराजे ने काफी शौर्य दिखाया. अफजल खान के साथ मिलकर संभाजीराजे ने दिखायी हुवी वीरता बहोत सराहनिय थी.
किंतु अफजल खान के कपटी मन मे कुछ अलग ही योजना आकार ले रही थी. संभाजीराजे को विश्वास दिलाते हुवे अफजल खान ने उन्हे चंद घुडसवारो के साथ लढाई को भेज दिया और आगे जा रहे संभाजीराजे के दल पर अफजल खान ने तोफो से हमला कर दिया. और इस हमले मे संभाजीराजे की मौत हो गयी. वे काफी युवा थे.
मराठो के विरुद्ध अफजल खान की यी बहोत बडी उपलब्धी थी. संभाजीराजे की हत्या कर के अफजल खान ने शहाजीराजे के इरादो को एकतरह से अपाहिज करके छोडा.
शिवाजीराजे और संभाजीराजे मे काफी गहरा लगाव था. संभाजी राजे के स्मरण मे शिवाजी महाराज ने अपने ज्येष्ठ पुत्र का नाम भी संभाजी रखा.
बडे भाईकी हत्या करने के बाद आदिलशाही दरबार ने अफजल खान को शिवाजी महाराज के खिलाफ महाराष्ट्र मे भेजा. अफजल खान की सेना ने महाराष्ट्र मे आकर शिवाजी महाराज को चुनौती दी. मराठो के प्रेरणास्त्रोत मंदिरो को का बुरी तरहासे उध्वस्त किया. कई महिलाओ को बेआब्रू किया.
ऐसे खुंखार आदिलशाही दरिंदे की शिवाजी महाराज की भेट प्रतापगड के नजदिक हुई. इस भेट मे भी अफजल खान ने धोकेबाजीसे शिवाजी महाराज की हत्या करने की कोशिश की परंतु चौकने शिवाजी महाराज ने वाघनखे ( जंगली शेर के नाखुनोसे बना हथीयार ) से अफजल खान को गंभिर रुप से घायल कर दिया. वीर मराठा योद्धा संभाजी कावजी ने अफजल खान का सर कलम करके उसकी जीवनयात्रा समाप्त कर दी.
जो वाघनखो का उपयोग शिवाजी महाराज ने किया था वो उनके बडे भाई संभाजी राजे की ही भेट थी.
इस प्रकार शिवाजी राजे ने अपने पिता के अपमान का.. भाईकी हत्या का प्रतिशोध लिया.
संभाजीराजे का नाम इतिहास के पन्नो मे हमेशा के लिये लिख दिया गया.
.
हिंदवी स्वराज्य संस्थापक छत्रपती शिवाजी महाराज को तो भारतवर्ष का हर कोई जानता हैl मुगलो जैसे बलशाली सत्ता के विरुद्ध स्वकियो का राज्य स्थापित करने वाले शिवाजी महाराज को राष्ट्रपुरुष कहा जाता हैl
शिवाजी महाराज की स्वराज्य निर्मिती के प्रेरणास्त्रोत थे उनकी माता जिजाउ, पिता शहाजीराजे और ज्येष्ठ बंधु संभाजीराजे...
अधिकतम लोगोको ये पता भी नही है के शिवाजी महाराज ेको संभाजीराजे नाम के कोई भाई भी थे.
वेरुळ (एलोरा) के भोसले कुलोत्पन्न शहाजी राजे का विवाह सिंदखेड राजा के निंबाळकर कुलोत्पन्न जिजाउ से हुवा. इस दंपती को दो पुत्ररत्न प्राप्त हुवे..
1) संभाजी.
2) शिवाजी.
ज्येष्ठ पुत्र संभाजी का ससुराल शिवनेरी था. जहा पर 1627 मे शिवाजी महाराज का जन्म हुवा. उस समय महाराष्ट्र मे मुगलोका काफी खौफ था. अहमदनगर की निजामशाही राज्यको मुगलोने परास्त किया और महाराष्ट्र मे लुट और आंतक का महौल कायम किया. ऐसे संकटकाल मे शहाजीराजे ने गर्भवती पत्नी जिजाउ को अपने समधीजी तथा संभाजी राजे के ससुर के यहा शिवनेरी मे रखा.
संभाजीराजे बचपनमे ही अपने पिता की जहागिर बंगलोरमे स्थाईक हो गये. जिस समय जिजाउ और शिवाजी राजे पुणे के क्षेत्र मे हिंदवी स्वराज्यनिर्मिती का कार्य कर रहे थे उस समय संभाजीराजे बंगलोर की अपनी जहांगिर को स्वाय्यत्त राज्य बनाने मे जुटे हुवे थे. वैसे स्वकियो का राज्य स्थापन करने का प्रयास शहाजी राजे ने पहले भी किया था किंतु वे असफल रहे. किंतु अपने दोनो पुत्रो मे स्वराज्य निर्मिती के बीज उन्होने बोए थे. शायद कर्नाटकासे ज्येष्ठ पुत्र संभाजीराजे और महाराष्ट्रसे कनिष्ठपुत्र शिवाजीराजे अपनी अपनी जहागिरीओ का विस्तार करके एक दुसरे मे विलिन होकर स्वकियो का एक साम्राज्य खडा करना चाहते थे.
इस बृहत रणनिती की खबर विजापुर के आदिलशहा को मिलने के बाद उसने शहाजीराजे और उनके दोनो पुत्रोके विरुद्ध सबसे शक्तीशाली सरदार अफजलखान को नियुक्त किया.
अफजल खान ने शहाजीराजे को धोकेसे बंदी बनाकर काफी अपमानित रुप से विजापुर दरबार मे पेश किया और उनकी बंगलोर तथा पुणे की जहागिर जप्त करने के लिये बहोत बडी सेना को भेजने का निर्णय लिया.
इस सुलतानी संकट को बंगलोर मे संभाजीराजे और पुणे मे शिवाजीराजे ने सिर्फ सहा नही बल्की अच्छा खासा नुकसान करके परास्त किया.
जिस अफजल खान की सेना को औरंगजेब हरा नही सका उस सेना को इन दोनो भाईयो ने शिकस्त दी.
शिवाजीराजे और जिजाउ के कुटनितीके उपरांत आदिलशहा ने शहाजीराजे को मुक्त किया. और अफजल खान के साथ कनकगिरी की सेना अभियान मे सम्मेलित होने का आदेश दिया. कनकगिरी अभियान मे ज्येष्ठ शहाजीपुत्र संभाजी राजे को भी शामिल होने का आदेश मिल था.
कनकगिरी के इस अभियान मे संभाजीराजे ने काफी शौर्य दिखाया. अफजल खान के साथ मिलकर संभाजीराजे ने दिखायी हुवी वीरता बहोत सराहनिय थी.
किंतु अफजल खान के कपटी मन मे कुछ अलग ही योजना आकार ले रही थी. संभाजीराजे को विश्वास दिलाते हुवे अफजल खान ने उन्हे चंद घुडसवारो के साथ लढाई को भेज दिया और आगे जा रहे संभाजीराजे के दल पर अफजल खान ने तोफो से हमला कर दिया. और इस हमले मे संभाजीराजे की मौत हो गयी. वे काफी युवा थे.
मराठो के विरुद्ध अफजल खान की यी बहोत बडी उपलब्धी थी. संभाजीराजे की हत्या कर के अफजल खान ने शहाजीराजे के इरादो को एकतरह से अपाहिज करके छोडा.
शिवाजीराजे और संभाजीराजे मे काफी गहरा लगाव था. संभाजी राजे के स्मरण मे शिवाजी महाराज ने अपने ज्येष्ठ पुत्र का नाम भी संभाजी रखा.
बडे भाईकी हत्या करने के बाद आदिलशाही दरबार ने अफजल खान को शिवाजी महाराज के खिलाफ महाराष्ट्र मे भेजा. अफजल खान की सेना ने महाराष्ट्र मे आकर शिवाजी महाराज को चुनौती दी. मराठो के प्रेरणास्त्रोत मंदिरो को का बुरी तरहासे उध्वस्त किया. कई महिलाओ को बेआब्रू किया.
ऐसे खुंखार आदिलशाही दरिंदे की शिवाजी महाराज की भेट प्रतापगड के नजदिक हुई. इस भेट मे भी अफजल खान ने धोकेबाजीसे शिवाजी महाराज की हत्या करने की कोशिश की परंतु चौकने शिवाजी महाराज ने वाघनखे ( जंगली शेर के नाखुनोसे बना हथीयार ) से अफजल खान को गंभिर रुप से घायल कर दिया. वीर मराठा योद्धा संभाजी कावजी ने अफजल खान का सर कलम करके उसकी जीवनयात्रा समाप्त कर दी.
जो वाघनखो का उपयोग शिवाजी महाराज ने किया था वो उनके बडे भाई संभाजी राजे की ही भेट थी.
इस प्रकार शिवाजी राजे ने अपने पिता के अपमान का.. भाईकी हत्या का प्रतिशोध लिया.
संभाजीराजे का नाम इतिहास के पन्नो मे हमेशा के लिये लिख दिया गया.
Outsatanding Akshay no words to say
ReplyDeleteChatrapati The 1st father of all Maharashrian people
Keep writing.
Thanx mangesh
ReplyDeleteGood one Akshay but in this blog you have mention badlapur stories
DeleteThat was mile stone for shivaji maharaj for swarajya
Thanx mangesh
ReplyDeleteNice..!!
DeleteNice..!!
DeleteThanx vakil saheb..
ReplyDeleteHi Akshay,
ReplyDeleteGlad to see your blog,
Kanakgiri vedhyatale details changle aahet. tyabaddal ajun mahiti asel tar ti pan please post kar.
kk
ReplyDeletei will try..
kk
ReplyDeletei will try..
kk
ReplyDeletei will try..
Hello अक्षय !!!
ReplyDeleteNice blog!!
Very informative.....